सिविल सर्विसेज के लिए 27 साल हो अधिकतम आयु: नीति आयोग

नीति आयोग

नीति आयोग ने सरकार से सिफारिश की है कि 2022-23 तक धीरे-धीरे सिविल सर्विसेज में सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों की अधिकतम आयु घटाकर 27 साल कर दी जाए। इसके अलावा यह भी सुझाव दिया गया है कि सिविल सर्विसेज के लिए केवल एक ही एग्जाम लिया जाए।




हाइलाइट्स

  • अभी सामान्य वर्ग के लिए 30 साल है अधिकतम आयु
  • नीति आयोग ने अधिकतम आयु घटाकर 27 करने का दिया है सुझाव
  • नीति आयोग ने सिविल सर्विसेज में सभी के लिए एक ही एग्जाम लेने का भी सुझाव दिया है
  • अपनी रिपोर्ट में नीति आयोग ने वर्तमान नौकरशाही में सुधार के दिए हैं कई सुझाव

 

सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने सिविल सर्विसेज के अभ्यर्थियों के लिए अधिकतम आयु कम करने की सिफारिश की है। आयोग ने कहा है कि सिविल सर्विसेज में सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए वर्तमान अधिकतम आयु 32 से घटाकर 27 साल कर दी जानी चाहिए। आयोग ने कहा है कि अधिकतम आयु में यह कभी साल 2022-23 तक लागू कर देनी चाहिए। आयोग ने यह भी सुझाव दिया है कि सभी सिविल सेवाओं के लिए केवल एक ही परीक्षा ली जानी चाहिए।

सभी सेवाओं में रिक्रूटमेंट के लिए सेंट्रल टैलंट पूल बनाए जाने का सुझाव दिया गया है। इसमें कैंडिडेट्स को उनकी क्षमता के अनुसार विभिन्न सेवाओं में लगाया जाए। नीति आयोग की रिपोर्ट ‘स्ट्रैटिजी फॉर न्यू इंडिया @75’ में सुझाव दिया गया है कि सिविल सर्विसेज में समानता लाने के लिए इनकी संख्या में भी कमी की जाए। बता दें कि इस समय केंद्र और राज्य स्तर पर 60 से ज्यादा अलग-अलग तरह की सिविल सर्विसेज हैं। 

सूत्रों के मुताबिक, वर्तमान में सिविल सर्विसेज में सिलेक्ट होने वाले अभ्यर्थियों की औसत आयु साढ़े 25 साल है और भारत की एक-तिहाई से ज्यादा आबादी की उम्र इस समय 35 साल से कम है, इस लिहाज से यह अनुशंसा सही है। इस रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि नौकरशाही में उच्च स्तर पर विशेषज्ञों की लेटरल एंट्री को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि हर क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा विशेषज्ञों की सेवाएं मिल सकें। 

इस रिपोर्ट में कहा गया है, ‘उद्देश्य यह है कि अधिकारियों को उनकी शिक्षा और स्किल के आधार पर विशेषज्ञ बनाया जाए। जहां भी जरूरी हो लंबे समय के लिए अधिकारियों की निपुणता के आधार पर पोस्टिंग की जाएं। हालांकि यह भी सुनिश्चित किया जाना जरूरी है कि अधिकारियों को अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने का मौका मिले ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें किसी भी जरूरी काम में लगाया जा सके।

स्रोत  नवभारत टाइम्स